तीसरा अधिनियम:
ये विधेयक जमाखोरी के बारे में हैं। सबसे पहले 1955 में ये अधिनियम बनाया गया था। आप बहुत बार सुनते होंगे कि फैलाने व्यक्ति/उद्यमी ने अपने पास बहुत सारा अनाज खरीद कर रख लिया और भंडारण कर लिया। अब क्या होगा जब डिमांड बढ़ेगी, रेट बढ़ेंगे तब बेच दिया और ये सब किया गया मुनाफा कमाने के लिए। ये सब ना हो इसलिए 1955 में ही अधिनियम बना दिया था कि आवश्यक चीज़ों का एक limit तक ही भंडारण किया सकता था। उसके बाद भी अगर कोई भंडारण करता हैं तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही होगी। ऐसा सख्त कानून बना दिया था।
लेकिन, अधिनियम-2, किसान और उद्यमी को contract farming की अनुमति देता हैं और यदि कोई उद्यमी फूड प्रोडक्ट बनाकर मार्केट में बेचना चाहता हैं या खादय पदार्थ निर्यात करना चाहता हैं, तो उसे भंडारण की आवश्यकता तो होगी। जैसे आप कोई भी काम करते हैं तो कच्चे माल का भंडारण करते हैं। ठीक वैसे ही अगर आपको अचार बनाना हैं तो आम का भंडारण तो करना ही पड़ेगा। यहाँ पर एक जरूरी बात बता दूं कि 1955 में हमारे देश में खादय पदार्थ कम होते थे। हमें अनाज भी आयात करना पड़ता था। किंतु वर्तमान में स्थिति अलग हैं आज हमारे देश में अनाज भरपूर मात्रा में हैं, हम अनाज निर्यात भी करते हैं और फूड सिक्योरिटी अधिनियम भी हैं। आपने बहुत बार न्यूज़ में देखा/सुना/पढ़ा होगा कि कई कुंतल गेंहू सढ़ रहा हैं या बर्बाद हो गया। ऐसे में यह आवश्यक वस्तु (संसोधित)अधिनियम 2020, आपको भंडारण की अनुमति देता हैं। लेकिन साथ ही सरकार ने यह लिख दिया हैं कि विशेष परिस्थिति जैसे अकाल/बाढ़/भूकम्प या युद्ध के समय या ओर कोई आपातकाल जैसे अभी आप देख रहे COVID-19 आदि में भंडारण नहीं किया जा सकेगा या फिर किसी खादय पदार्थ के दाम में असाधारण वृद्धि हुई हैं। तब भी भंडारण नहीं किया जा सकता हैं। हालाकि इसमें यह भी जोड़ दिया गया हैं कि अगर कोई खादय पदार्थो का निर्यात करता और उसके पास डिलीवरी का आर्डर हैं तो उसे उतना भंडारण करने दिया जाएगा।
इसमें गड़बड़ कहाँ हो सकती हैं कि रेट बढ़ाने के लिए illegally भंडारण किया जाए। लेकिन अधिनियम इसकी अनुमति नहीं देता और ऐसा करने पर कानूनी कार्यवाही होगी। बाकी इस अधिनियम का कोई बहुत ज्यादा विरोध भी नहीं हो रहा हैं।
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आप अगर दूसरे देशों में देखे तो 100 रुपये में से किसान के पास 80 रुपये पहुचते हैं और हमारे देश में 15 - 20 रुपये। इसलिए हमारे देश में युवा वर्ग कृषि से परहेज कर रहा हैं। तो यदि हमें दूसरे देशों से कम्पटीशन करना हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ाना हैं तो इस तरह के प्रयोग करने पड़ेंगे, प्राइवेट सेक्टर को involve करना ही पड़ेगा और निर्यात करने की भी आवश्यकता हैं।
इसमें गड़बड़ कहाँ हो सकती हैं कि रेट बढ़ाने के लिए illegally भंडारण किया जाए। लेकिन अधिनियम इसकी अनुमति नहीं देता और ऐसा करने पर कानूनी कार्यवाही होगी। बाकी इस अधिनियम का कोई बहुत ज्यादा विरोध भी नहीं हो रहा हैं।
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आप अगर दूसरे देशों में देखे तो 100 रुपये में से किसान के पास 80 रुपये पहुचते हैं और हमारे देश में 15 - 20 रुपये। इसलिए हमारे देश में युवा वर्ग कृषि से परहेज कर रहा हैं। तो यदि हमें दूसरे देशों से कम्पटीशन करना हैं और अर्थव्यवस्था को बढ़ाना हैं तो इस तरह के प्रयोग करने पड़ेंगे, प्राइवेट सेक्टर को involve करना ही पड़ेगा और निर्यात करने की भी आवश्यकता हैं।
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